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विदेश में रह रहे बेटे का माँ को लिखा भावपूर्ण पत्र

ध्रुव खुराना, कक्षा ११वीं F

आदरणीय माताजी,
चरण स्पर्श
मैं यहाँ ठीक हूँ | आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ सकुशल होंगी | यहाँ हर पल आप ही की याद में गुज़र रहा है | क्या करूँ काम भी तो ज़रूरी है, नहीं तो कब का वापस घर लौट आता |
आप ही के आशीर्वाद से हर एक क्षण सफल हो सका है | मैं आज जो भी हूँ, जिस भी मुकाम पर हूँ, सब आप ही की देन है | आपकी वह बचपन की डांट और सीख ने मुझे सही राह पर चलना सिखाया | हर रात आप ही की तस्वीर देखता हूँ और वह पल याद आ जाते हैं जब आप की गोद में सर रख कर सोता था | मन में बस यही सवाल उठता है की क्या काम इतना ज़रूरी है की माँ से दूर रहना पड़ रहा है?
जब भी मैं आपसे फोन पर बात करता हूँ, एक अजीब सी दूरी महसूस होती है | आपने मुझे तौर-तरीकों की, दुनिया की इतनी समझ दी है कि आज में इस स्वार्थी दुनिया में भी लोगों का सामना कर पाता हूँ | मैं अपनी बचपन की यादों से ओत-प्रोत हो जाता हूँ | वह दिन याद आता है जब आप मुझे छोड़ने आईं थी | ओह! याद आते हैं वे दिन जब मैं खाना नहीं खाता था और आप मेरे पीछे-पीछे दौड़ा करती थीं | वह पल जब मैं आपके आँचल में खेलता था, वह ख़ुशी जब मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरता था और आप सर पर हाथ फेरती थीं | वह समय जब मेरी गलती पर लोग हँसते थे पर आपने मुझे सहारा दिया |
आपके बिना यहाँ सूना-सूना लगता है | आज जब मैं देखता हूँ किसी माँ को अपने बच्चे को गोद में खिलाते हुए, तो आपकी याद आती है | आप सोच रही होंगी की मैं इतना भावुक क्यों हो रहा हूँ | पर माँ, जुदाई के बाद मुझे आपकी अहमियत समझ आ गयी है | आज भी मेरी नज़र आपको ढूंढती है, हर वास्तु में, हर जगह पे, हर कोने में, परन्तु मैं यह जानता हूँ कि आप सदैव मेरे साथ मेरे दिल में रहोगी| अपना दुःख व्यक्त करने के लिए दो पंक्तियाँ कहना चाहूँगा
महसूस करता हूँ जब मैं अकेला
करता हूँ, तुम्हारे सहारे की मांग
चाहता हूँ मेरे पास आ जाओ
सातों समंदर को उल्लांघ

आपका प्रिय पुत्र

ध्रुव

 

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