डॉ. प्राची खान, Educator
हम करते हैं परवाह अपने बच्चों की
अच्छा है, बहुत अच्छा है
क्योंकि, यह हमारा कर्तव्य है
पर क्यों न करें आज एक और प्रण
इस नववर्ष के आरम्भ में
कि….
हम अपने अन्य कर्तव्यों का निर्वाह भी
करेंगे उसी समर्पण और निष्ठा से 
क्यों न देखें नियमित की वो भी
सीखें सबकी परवाह करना
क्यों न जांचें कि कहीं, हमारी अतिरिक्त परवाह
उन्हें बेपरवाह तो नहीं बना रही?
हम परवाह करें की आधुनिकता के साथ 
कहीं हमारे संस्कार और संस्कृति का पाठ
विस्मृत तो नहीं कर रहे वे?
कहीं इस पाश्चात्यकरण के कोहरे में
गुम तो नहीं हो रहे वे?
आइये – 
परवाह करें कि अच्छे रहन-सहन और खान-पान
से ज़रूरी है अच्छे विचार, सदभावना पालना
पर उसे सिखाएं – 
फेसबुक, ट्विटर के ज़रिये जुड़ने से अच्छा है
सामाजिक बन, भावनात्मकता से जुड़ जाना 
जन्मदिवस, नववर्ष आयोजनों पर खर्च से अच्छा है
किसी ज़रूरतमंद के काम आना 
भौतिक संसाधनों का दिखावा कर इठलाने से अच्छा है 
सरलता और सादगी को अपनाना
हमारे कर्तव्यों में ही शामिल है 
उन्हें नित मानवता का पाठ पढ़ाना |
आइये – 
परवाह करें कि युग प्रतियोगिता का ज़रूर है
आगे बढ़ना, पढना लिखना सामाजिक प्रतिष्ठा का दस्तूर है |
पर उसे सिखाइए – 
मात्र डिग्रियां हासिल कर शिक्षित होने से अच्छा है 
उस शिक्षा का जीवन और व्यवहार में समाना 
अनैतिक रास्ते से अर्जित धन से अच्छा है 
अथक परिश्रम कर सम्मान की रोटी खाना 
पराजय से निराश हो जीवन अंत करने से अच्छा है 
चुनौती को स्वीकार कर संघर्ष करते जाना 
हमारे कर्तव्यों में ही शामिल है
उन्हें प्रोत्साहित कर जुझारू बनाना |
आइये – 
परवाह करें कि वैज्ञानिक युग में अच्छा है आगे बढ़ना
क्योंकि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है 
पर उसे सिखाएं – 
मोबाईल, इन्टरनेट आदि पर निर्भर होने से अच्छा है 
व्यक्तिगत रूप से जुड़ सामाजिक सम्बन्ध बनाना
सतत गाड़िओं पर निर्भर बने रहने से अच्छा है 
शारीरिक श्रम और व्यायाम का महत्त्व समझाना 
बेफिक्री से कचरा, पाउच, रेपर फेंकने से अच्छा है 
प्रकृति को स्वच्छ, प्रदूषण रहित बनाना |
हमारे कर्तव्यों में ही शामिल है 
उन्हें एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाना |
आइये – 
परवाह करें कि अच्छा है निज हित की बातें सोचना 
क्योंकि विकास, जीवन की महती आवश्यकता है 
पर उसे सिखाएं – 
भेड़-चाल में शामिल हो बढ़ने से अच्छा है 
अपने लिए एक अलग मुक़ाम बनाना 
झूठ, फ़रेब, बेईमानी के सहारे बढ़ने से अच्छा है 
धैर्य, निष्ठा और सत्य का मार्ग अपनाना
चाटुकारों की प्रशंसा से प्रसन्न होने से अच्छा है 
निस्वार्थ आलोचना को स्वीकार, व्यक्तित्व निखारना 
हमारे कर्तव्यों में ही शामिल है 
उन्हें निष्ठावान और चरित्रवान बनाना |
आइये – 
परवाह करें कि अच्छा है विदेशों में मोटा पैकेज पाना 
क्योंकि यह वर्तमान में सफलता का प्रतीक है 
पर उसे सिखाएं – 
विदेशों में अपनी शिक्षा के प्रयोग से अच्छा है 
अपनी जन्मभूमि के काम आना 
असत्य का साथ दे भीरू बन जीने से अच्छा है 
निडर बन सत्य का साथ निभाना 
सफलता के मद में अहंकारी बनने से अच्छा है 
विजय को, विनम्रता और संयम से स्वीकारना |
हमारे कर्तव्यों में शामिल है 
उनका मनोबल बढ़ा उन्हें पुरुषार्थी बनाना |