Author: Aakriti, Class X C
आँखे मूँद मत चल प्यारे ,
राह है कांटे भरे ।
है भरा विष उसमें ,
यह सांप को क्या पता चले ?
दृढ हो संकल्प कर ,
चल उठ और कदम रख ।
खुद पर अडिग विश्वास कर ,
स्वाधीनता पर राज कर ।
सत्य, तू अकेला है ,
सत्य, तेरे साथ कोई नहीं ।
सत्य तेरे भीतर छिपा है ,
क्या सुनने को तैयार तू ?
गीदड़ भागे , हिरण भागे ,
इस कुंज में , आग लगी है ।
गज स्थायी है सोचता ,
इस कुंज में , परेशान सभी हैं ।
तैयारी न कर तू भविष्य की ,
भविष्य तेरे हाथ नहीं है ।
कर्म कर कर्म भूमि पर तू तो ,
दान से कुछ महान नहीं है ।
शांत कर विकल मन को ,
चंचलता के परे देख ,
खुद पर वश जमा अपना ,
इंद्रिया जीत फिर बोलना ,
इस जग की बात नई है ।