Author: Aarshiya Durgiya, Class VIII B
यह संसार धीरे-धीरे भूल रहा है रिश्ते,
अपनेपन की पर अब भी बाकी है कुछ किश्तें,
जिनकी वाणी में छिपी सफलता है,
गुरु का सिखाया हर मूल्य शिष्य के साथ आजीवन चलता है,
भरोसे की डोर से बंधे कुछ ऐसे रिश्ते
जिनके समान कोई नहीं,
सच्ची मित्रता से बढ़कर वाकई वरदान कोई नहीं,
डूबने से बचने के लिए जो जरूरी हो
वे बन जाते हैं वह पतवार,
अंधकार को मिटाने वाली रोशनी का नाम होता है परिवार ,
पिता का अनंत स्नेह हो या एक माँ की निस्वार्थ ममता,
जाने अनजाने सिखा जाते हैं रिश्तों की महत्वता,
जब संसार की समस्याएँ घेर लें
तो आते हैं बनकर फ़रिश्ते,
जीवन के अंत में हमारे पास
बच जाते हैं सिर्फ रिश्ते।