CBSE Affiliation No. 1031254 Mandatory Public DisclosureJhalaria Campus North Campus
CBSE Affiliation No. 1031254

ज़िन्दगी एक सुहाना सफ़र


ध्रुव खुराना, कक्षा ११वीं F

ज़िन्दगी कोई कार्य नहीं है जिसे हम करने का इंतज़ार कर रहे हैं | कोई खेल नहीं जिसे हम मौज के लिए खेलें; कोई किताब नहीं जिसे खोलकर पढ़ के सीख लें | बल्कि ज़िन्दगी तो वो सफ़र है जिसे हम हर एक क्षण जी रहे हैं|
हम अपनी ज़िन्दगी को एक बहुत ही कठिन सफ़र समझते हैं | परन्तु यह केवल एक सोच है| हम ऐसी बातों से प्रभावित होकर खुद अपनी परेशानियाँ बाधा लेते हैं| हम अपनी ही बातों और अपने ही विचारों में खो जाते हैं| प्रश्न ये उठता है कि ज़िन्दगी कैसे जी जाती है? इस प्रश्न का एकमात्र उत्तर है, ज़िन्दगी दिल खोलकर जी जाती है, पूरा सौ प्रतिशत देकर जी जाती है| हम यह कैसे कर सकते हैं, मैं इसी बात पर रोशनी डालना चाहूँगा|
ज़िन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा सच जिससे सफलता मिलती है वह है अंतरात्मा की ख़ुशी| यही सच्ची ख़ुशी है| यह न तो पैसों से मिल सकती है और न ही किसे वास्तु से| यह अपना मुकाम हासिल करने पर ही मिल सकती है|

Art by Dhruv Khurana, Class XI F

दूसरी जो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है वह है समय| समय को इस तरह भी समझाया जा सकता है कि अगर ज़िन्दगी गाड़ी है तो समय पहिया जिसके बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते| इसी कारण जो समय बर्बाद करता है, समय उसे बर्बाद कर देता है|
तीसरी चीज़ है आत्मनियंत्रण | अपने मन को काबू रखना | जिसने अपने मन को काबू में रखना सीख लिया, वह कुछ भी कर सकता है|
हम मनुष्य अपने आप को बहुत कमज़ोर समझते हैं| ये केवल हमारी कल्पना है | हमारी अंतर-आत्मा की शक्ति असीम है| इसी कारण हमें कभी भी अपनी काबिलियत पर शक नहीं करना चाहिए|
हम अपने जीवन अनुशासन से नहीं जीते; उसूलों के साथ नहीं जीते; अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित नहीं होते| सफलता के लिए जी-जान लगानी पड़ती है| साथ ही अन्दर से हार न मानाने वाला दृढ-निश्चय, आत्म-सम्मान से भरा हुआ और सदैव बिना फल का सोचे मेहनत करने वाला चरित्र चाहिए| तभी सच्ची ख़ुशी मिल सकती है|
अपने लिए जियो, खुद पर भरोसा रखो, अपने आप जीत तुम्हारे क़दमों में होगी|

A New Beginning

A Poem by Vinisha Shrimal, Class XII A

Alone I stand before the sea,
The sloshing waves washed me.
Foot prints gone from the sandy shore,
Leave no signs like it showed before.

I slowly turned around,
It’s a new beginning I found.
All the worries, all the sadness,
Let it be washed away,
Let it be given back to yesterday.
 
Look up and look down,
The sky looks one with the ground.
Treasured memories will always stay,
Yes! Hardtimes are faded away.

काश!

चिराग गोस्वामी, कक्षा १० वीं B

कभी खिड़की के पास बैठे-बैठे, शीतल बयारों का आनंद उठाते हुए, तो कभी कालिंदी की एक मस्त-मगन लहर की भाँती बहते हुए, हमारे मन में अभिलाषा प्रतिबिंबित करने वाला यह शब्द ज़रूर आता है – काश!
इस एक शब्द – काश – से ही मनुज के भाव, उसकी आकांक्षाएं, उसका शोक, उसका आह्लाद, उसके गुण, उसका व्यक्तित्व तथा उसकी प्रवृत्ति दर्पण सी स्पष्ट हो जाती है| ‘काश! मैं भी इतना सफल होता’, ‘काश! मै भी इतना रईस होता’, ‘काश! मुझे सुम्रत्यु प्राप्त हो’ – इन पंक्तियों से हमें कई प्रकार की अभिव्यक्तिओं का बोध होता है|
हर किसी के पास इस ‘काश’ को हकीकत में परिवर्तित करने की काबिलियत होती है| मगर फिर भी जोश, उत्साह, सकारात्मकता, दृढनिश्चय, परिश्रम आदि की कमी होने के कारण यह ‘काश’ कईयों के लिए सर्वथा ‘काश’ ही बन कर रह जाता है|
हमारी इच्छाओं को आकार हम स्वयं ही प्रदान करते हैं| हमें बस उन भूली स्मृतियों को पुनः याद कर उनसे प्रोत्साहन लेना चाहिए| खुद पर विश्वास रखना चाहिए और लघुता मिले तो उसे निर्मलता से स्वीकार कर हमेशा तृप्त रहना चाहिए|
धैर्य की आवश्यकता है, पयोद के सामान,
लक्ष्य की आवश्यकता है, सरिता के सामान,
फिर अंतरिक्ष-अँधेरे सह कर भी,
चमकोगे तुम शुक्रतारे के सामान |

वारेन बुफे: जीवनी-वाचन

आयुष नलवाया, कक्षा १०वीं B

महान लोग मेरे आदर्श हैं | उनकी जीवनियों का वाचन मेरा मार्गदर्शन करता है | मेरे लिए जीवनी पढने का मूल कारण यह है की उन लोगों में ऐसा क्या था कि सारी दुनिया उन्हें पूजती है| वे महान कैसे बने? 
अभी हाल ही में मैंने श्रीमान वारेन बुफे की जीवनी पढ़ी| इनकी जीवनी अत्यंत ही रोचक एवं प्रभावशाली है| 
वारेन बुफे का जन्म अमेरिका के एक छोटे से गाँव में हुआ, और इनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं थी| किशोरावस्था में इन्होने ‘कोका-कोला’ की बोतल बेचकर पैसा कमाया| इन पैसों से इन्होने बहुत छोटी उम्र में ही एक छोटा सा खेत खरीद लिया| इन्होने शेयर बाज़ार में भी काफी रूचि दिखाई| बहुत संघर्ष और मेहनत के बाद, इन्होने एक उद्योग स्थापित किया जिसका नाम है बर्कशायर हैथवैस | इसके बाद तो इनकी किस्मत ऐसी पलटी कि देखने वाले देखते ही रह गए| आज की तारीख़ में इनकी कंपनी एक ६३ कम्पनियों का समूह है| ये दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी भी रह चुके हैं|
इनकी सादगी और सरलता ही इनके सबसे बड़े गुण हैं| इतना पैसा होने के बावजूद ये अपने पुराने तीन कमरे के मकान में ही रहते हैं| न ही इनके पास कोई ड्राइवर है और न ही कोई सुरक्षाकर्मी| ये अपने सारे कर्मचारियों को यही बताते हैं की जो काम करो, पूरी निष्ठा के साथ करो और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर मेहनत करते रहो| दानवीरों की सूची में ये हर बार प्रथम स्थान पर रहते हैं|
मेरा यह मानना है कि ऐसी जीवनियाँ पढने से हमारा मनोबल बढ़ता है और हम अपने लक्ष्य के प्रति अधिक एकाग्रचित्त हो जाते हैं| फ़िज़ूल की पत्रिकाएं पढने से बेहतर है कि हम ऐसे लोगों के जीवन के बारे में पढ़ें| ऐसे महान लोगों की जीवनियों में उनके अनेक अनुभव एवं दैनिक दिनचर्या का भी बखान होता है जिन्हें हम अपने निजी जीवन में अपना कर उसे और बेहतर बना सकते हैं|

Not Without My Daughter by Betty Mahmoody

Reviewed By : Prachi Palod, Class XI C


Based on true events, this book revolves around the life of an American woman who is held hostage by her Iranian husband with their daughter in his native country, where women empowerment is still a far-fetched idea. After several futile attempts to escape, she finally flees the torturous clutches of her husband and his community with the help of the few local people. The American Embassy in Tehran also helps her return to her motherland with her daughter. It’s a journey of a woman who yearns for freedom in a country where women are still at the mercy of men. Evoking a true sense of freedom, this book sends a shiver down one’s spine.

Written by Betty Mahmoody, to help the American women and children held against their will in Iran and other Islamic countries, this book inspires a rebellion, and provides a different outlook towards the plight of women in Islamic countries.

I enjoyed reading this book and I am sure all Shishyans will enjoy reading it too!

I Become

A poem by Ms Abhilasha Umahiya, Educator


Dawn seeps into me
with its moisture and cool breaths
and I become the dawn
all vermilion – 
prepared to dissolve myself
into the heart of a blazing day.

The sun doesn’t burn me.
How can it?
I am its own ray.

Fiercely, I fall on the Earth
but humbly, she gives me an identity.
I become the newly sprouted sapling
stretching its arms
towards the sky and 
roots groping the unknown.

Suddenly, I grow into cottony feathers
and wind carries me
wherever it pleases.

I don’t lose my existence
anywhere – anytime to anything.
I only become.

बड़ों का साया मेरु के सामान है

आरुषि जैन, कक्षा ९वीं B द्वारा लिखा एक पत्र |

ऍफ़ १३४

एम्. आई. जी.

इंदौर
१६ जून २०१४
प्रिय सिद्धार्थ
नमस्ते
मै यहाँ कुशल मंगल हूँ और ईश्वर से आशा करती हूँ की तुम्हारे घर भी सब कुशल मंगल होगा | मेरी अभी छुट्टियाँ चल रही है | पर इस बार मैं तुम्हारे घर नहीं आ पाऊँगी क्योंकि मुझे कुछ ज़रूरी काम से विदेश जाना है |
तुमने इतने दिनों से पत्र नहीं लिखा तो मैंने सोचा मै ही पूछ लूं | आजकल तो तुम्हारे पास इतना भी समय नहीं की तुम अपनी बड़ी बहन को पत्र लिखो | जब पिछली बार तुम मेरे घर आये थे तुमने दादा-दादी जी की साथ बैठकर पांच मिनिट भी बात नहीं की थी | दिन-पर-दिन नयी पीढ़ी में एक परिवर्तन देख रही हूँ | बच्चे बड़ों के साए को  अपनी स्वतंत्रता में एक बाधा समझने लगे हैं | जबकि बड़ों का साया किसी आशीर्वाद से कम नहीं | वह हमें ग़लत रास्ता चुनने से रोकता है और हमें अपने लक्ष्य तक पहुँचने का रास्ता निर्धारित करने में मदद करता है|
बड़ों का साया हमें आत्मविश्वासी बनाता है | वह हमें एक सहारा ही नहीं देता बल्कि एक सुरक्षा भी देता है | हम अपने बड़ों के साथ हमारे मन में चल रही बातें बता सकते हैं | अपनी परेशानियां बताकर हल्का लगता है | नहीं तो हम अन्दर ही अन्दर घुट-घुटकर जियेंगे |
अगली बार जब तुम मेरे घर आओगे तो आशा करती हूँ की तुम बड़ों के साथ बैठकर उनसे हंसी-मज़ाक करोगे और मेरी बात को ध्यान से सुनकर समझकर उसपर अमल करोगे | अगर तुम्हे तुम्हारे कोई भी मित्र ग़लत रास्ते पर चलते हुए दिखें तो तुम उन्हें भी यह बात ज़रूर समझाना | इससे तुम्हारा भी भला होगा और उस मित्र का भी |
अन्नू को मेर प्यार और मौसी-मौसाजी को नमस्ते |
तुम्हारी बड़ी बहन
आरुषि

 

What Can You Learn From a Mother?

Poem sent by Komudi Behani, Class VI B


Someone asked one day, “What
Can you learn from a mother?”
And someone replied, “You can learn
Every virtue from her, my brother.”

You can learn from her patience, as she
Keeps her child for nine months in her womb,
Happiness fills her heart,
And makes it a most sacred tomb.

You can learn from her, the art of
Loving without limits, or boundary,
Which makes us wonder does she have
An everlasting supply of love foundry.

You can learn from her
The envious quality of being selfless,
As she devotes her whole time on her child
And never expects in return, more or less.

You can learn from her, to fill your
Souls with evergreen compassion,
While she watches her child eat, or
Sleep, with eyes full of love and passion.

You can learn the whole new meaning from her
Of the saying, “Beauty lies in the eyes of the beholder”,
As she sees beauty and wonder, in every
Child created, and existing in god’s folder.

You can learn the act of living,
For some other human being.
As she gives all her things to her child,
In the hope that he will live like a king.

You can learn from her the art o
f supporting,
Her baby in every walk of life,
Balancing her support so that, 

She is a wonderful mother, and a loving wife.

You can learn from her the knack of dying,
To protect her precious baby,
Because, if she has to lay her life
She’ll die, not even saying ‘maybe’.

And finally you can learn from her,
Bravery, valour and courage,
When she lets her child go
When he/she comes of age.

And thus you can learn from her
Every possible virtue, my brother,
Because god is present everywhere
And anywhere in the form of mother.